अनिष्ट शक्तियों का कष्ट किसे हो सकता है
सर्वप्रथम तो यह बता दूँ की अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से आज संपूर्ण मानव जाति पीड़ित है
तीन वर्गों में इसका विभाजन कर कारण बताती हूँ
1 जो साधना नहीं करते
२ . जो साधना करते हैं
३ संत
आज तीनों ही वर्ग को कष्ट है क्यों ?
जो साधना नहीं करते उनकी स्थिति अति दयनीय होती है वे पूर्णतः अनिष्ट शक्तियों के नियंत्रण में चले जाते हैं
आज की अर्ध्नंगी मॉडल, आज के भ्रष्ट नेता , समलैंगिक लोग , बलात्कारी , अहंकारी, आज के ultramodern एवं पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रंगे लोग , मद्यपी (शराबी) लोग, इन सब पर अनिष्ट शक्तियों का सर्वाधिक नियंत्रण होता है या यु कहें कि शरीर उनका मन और बुद्धि अनिष्ट शक्तियों की ! ज समा के | 30% से अधिक सामान्य लोगों को तीव्र स्तर का अनिष्ट शक्तियों का कष्ट है |
जो साधना करते हैं उन्हें वे कष्ट इसलिए देते हैं जिससे की वे भी साधना पथ से हट जाएँ और उनके मन में धर्म अध्यात्म , संत और गुरु के प्रति विकल्प आ जाये जिससे की उनकी सधाना खंडित हो जाये और वे उनके ऊपर नियंत्रण कर लें आज समाज में ५० प्रतिशत से अधिक प्रमाण में अच्छे साधकों को कष्ट है
संत को कष्ट क्यों होता है ?
संत का सूक्ष्म देह ईश्वर के निर्गुण स्वरूप अर्थात समाज से समष्टि स्वरुप से एकरूप होते है अतः उन्हें भी कष्ट होता है |
सर्वप्रथम तो यह बता दूँ की अनिष्ट शक्तियों के कष्ट से आज संपूर्ण मानव जाति पीड़ित है
तीन वर्गों में इसका विभाजन कर कारण बताती हूँ
1 जो साधना नहीं करते
२ . जो साधना करते हैं
३ संत
आज तीनों ही वर्ग को कष्ट है क्यों ?
जो साधना नहीं करते उनकी स्थिति अति दयनीय होती है वे पूर्णतः अनिष्ट शक्तियों के नियंत्रण में चले जाते हैं
आज की अर्ध्नंगी मॉडल, आज के भ्रष्ट नेता , समलैंगिक लोग , बलात्कारी , अहंकारी, आज के ultramodern एवं पाश्चात्य संस्कृति के रंग में रंगे लोग , मद्यपी (शराबी) लोग, इन सब पर अनिष्ट शक्तियों का सर्वाधिक नियंत्रण होता है या यु कहें कि शरीर उनका मन और बुद्धि अनिष्ट शक्तियों की ! ज समा के | 30% से अधिक सामान्य लोगों को तीव्र स्तर का अनिष्ट शक्तियों का कष्ट है |
जो साधना करते हैं उन्हें वे कष्ट इसलिए देते हैं जिससे की वे भी साधना पथ से हट जाएँ और उनके मन में धर्म अध्यात्म , संत और गुरु के प्रति विकल्प आ जाये जिससे की उनकी सधाना खंडित हो जाये और वे उनके ऊपर नियंत्रण कर लें आज समाज में ५० प्रतिशत से अधिक प्रमाण में अच्छे साधकों को कष्ट है
संत को कष्ट क्यों होता है ?
संत का सूक्ष्म देह ईश्वर के निर्गुण स्वरूप अर्थात समाज से समष्टि स्वरुप से एकरूप होते है अतः उन्हें भी कष्ट होता है |
किसी को अनिष्ट शक्तियों से संबन्धित कष्ट हैं यह कैसे समझे ?
इस सम्बन्ध में कुछ बातें ध्यान रखें जो भी सामान्य नहीं हो रहा है और बुरा हो रहा है वह अनिष्ट शक्तियों के कारण हो सकता क्योंकि असामान्य और अच्छा करने की क्षमता साधारण लोगों में नहीं होता वह केवल ईश्वर में या संतों में होता है उसी प्रकार सामान्य स्तर पर कुछ बुरा हो रहा हो और बुद्धि से समझ में न आये और शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक स्तर पर प्रयास करने पर भी विशेष सफलता न मिले तो समझ लें की वह अनिष्ट शक्तियों के कारण हो रहा है चाहे वह स्वास्थय से संबंधित हो , रिश्ते से संबंधित हो या अर्थोपार्जन से संबंधित हो
इस सम्बन्ध में कुछ बातें ध्यान रखें जो भी सामान्य नहीं हो रहा है और बुरा हो रहा है वह अनिष्ट शक्तियों के कारण हो सकता क्योंकि असामान्य और अच्छा करने की क्षमता साधारण लोगों में नहीं होता वह केवल ईश्वर में या संतों में होता है उसी प्रकार सामान्य स्तर पर कुछ बुरा हो रहा हो और बुद्धि से समझ में न आये और शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक स्तर पर प्रयास करने पर भी विशेष सफलता न मिले तो समझ लें की वह अनिष्ट शक्तियों के कारण हो रहा है चाहे वह स्वास्थय से संबंधित हो , रिश्ते से संबंधित हो या अर्थोपार्जन से संबंधित हो
अनिष्ट शक्तियों के कारण किस प्रकार के कष्ट हो सकते हैं ?
अवसाद (डिप्रेशन ), आत्महत्या के विचार आना , अत्यधिक क्रोध आना और उस आवेश में अपना आपा पूर्ण रूप से खो देना, मन में सदैव वासना के विचार आना , नींद न आना , अत्यधिक नींद आना , शरीर के किसी भाग में वेदना होना और औषधि के द्वारा उस वेदना का ठीक न हो पाना , मन का अत्यधिक अशांत रहना , व्यवसाय में सदैव ह हानी होना , परीक्षा के समय सदैव कुछ न कुछ अडचण आना , घर में सदैव कलह क्लेश रहना , लगातार गर्भपात होना, बिना कारण आर्थिक हानी होना , रोग का वंशानुगत होना, व्यसनी होना , लगातार अपघात या दुर्घटना होते रहना नौयकरी या जीविकोपार्जन में सदैव अडचण आना | सामूहिक बलात्कार, समलैंगिकता, भयावह यौन रोग यह सब अनिष्ट शक्तियों के कारण होते हैं |
अवसाद (डिप्रेशन ), आत्महत्या के विचार आना , अत्यधिक क्रोध आना और उस आवेश में अपना आपा पूर्ण रूप से खो देना, मन में सदैव वासना के विचार आना , नींद न आना , अत्यधिक नींद आना , शरीर के किसी भाग में वेदना होना और औषधि के द्वारा उस वेदना का ठीक न हो पाना , मन का अत्यधिक अशांत रहना , व्यवसाय में सदैव ह हानी होना , परीक्षा के समय सदैव कुछ न कुछ अडचण आना , घर में सदैव कलह क्लेश रहना , लगातार गर्भपात होना, बिना कारण आर्थिक हानी होना , रोग का वंशानुगत होना, व्यसनी होना , लगातार अपघात या दुर्घटना होते रहना नौयकरी या जीविकोपार्जन में सदैव अडचण आना | सामूहिक बलात्कार, समलैंगिकता, भयावह यौन रोग यह सब अनिष्ट शक्तियों के कारण होते हैं |
अनिष्ट शक्तियों से बचाव कैसे करें
भारतीय संस्कृति अनुसार आचरण करें
पाश्चात्य संस्कृति का कम से कम अनुकरण करें
1 अपनी वेषभूषा भारतीय संस्कृति अनुसार रखें , ध्यान रखें भारतीय संस्कृति अनुसार वेषभूषा से हमारा अनिष्ट शक्तियों से रक्षण होता है और देवता के तत्त्व भी हमारी ओर आकृष्ट होते हैं
2 तिलक या टीका लगाएँ इससे भी अनिष्ट शक्तियाँ हमारे आज्ञा चक्र में प्रवेश नहीं कर पाती
3 पुरुष ने शिखा और यदि यज्ञोपावित हो चुका हो तो उसे धारण करें
4 स्त्रीयोन ने भूल से भी शराब और सिगरैट नहीं पीनी चाहिए इससे स्त्री की योनि अनिष्ट शक्तियों के लिए पोषक स्थान बन जाता है और उनके द्वारा उत्पन्न बच्चों को जन्म से ही अनिष्ट शक्तियों के कष्ट होते हैं
5 जहां तक संभव हो काले वस्त्र का प्रयोग पूर्ण रूप से टालना चाहिए, इससे भी अनिष्ट शक्तियों का कष्ट होता है
6 बाहर का भोजन विशेष कर डब्बाबंद(tinned) और कैंड खाद्य सामाग्री को ग्रहण करना टालना चाहिए यदि ग्रहण करना ही पड़े तो प्रार्थना और नामजप कर खाना चाहिए
7 रात्रि ग्यारह बजे के पश्चात जागना टालना चाहिए
8 किसी भी प्रकार के व्यसन को चखने से भी बचना चाहिए
9 मांसाहार के बजाय शाकाहार की ओर प्रवृत्त होना चाहिए
10 प्रतिदिन नमक पानी और गौमूत्र का एक चामच दल पहले स्नान करना चाहिए तत्पश्चात सामान्य स्नान करना चाहिए
11 आजकल के deo और तेज सुगंधी अनिष्ट शक्तियों को आकृष्ट करे की प्रचंड क्षमता रखते है उन्हे लगाना टालना चाहिए
12 सिंथेटिक और चमड़े के वस्त्र पहनना टालना चाहिए
13 टीवी और नेट पर बिना विशेष कारण अधिक समय नहीं देना चाहिए वे रज तम के स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं
14 हॉरर फिल्म्स और धारावाहिक देखना टालना चाहिए
15 नमक पानी का उपाय नियमित करने से मन एवं बुद्ध पर छाया कला आवरण नष्ट हो जाता है और मन एकाग्र और शांत रहने में सहायता मिलती है | नमक पानी का उपाय कैसे कर सकते हैं यह भी समझ लेते हैं | आधी बाल्टी अपनी सुविधानुसार या मौसम अनुसार गरम या ठंडा पानी में एक चम्मच मोटा नमक (ढेला या खड़ा नमक ) डालें और उसमे एक चम्मच गौ मूत्र डालें और अपने दोनों पैर उसमे डालकर पंद्रह मिनट कुर्सी बैठें और साथ मैं गुरुमंत्र का या श्री गुरुदेव दत्त का जप करें और पंद्रह मिनट के पश्चात में पानी से पैर निकलकर पानी फ़ेंक दें और पैर स्वच्छ जल से धो लें | यदि सुबह या शाम में धुप हलकी हो आकाश नीला हो तो आकाश और सूर्य के नीचे नमक पानी का उपाय करने पर उसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है | मात्र उपाय करें से पूर्व प्रार्थना करें “आकाश , सूर्य , नमक, जल और गौमूत्र के माध्यम से मेरे शरीर मन एवम बुद्धि में छाया काल आवरण नष्ट हो” |
भारतीय संस्कृति अनुसार आचरण करें
पाश्चात्य संस्कृति का कम से कम अनुकरण करें
1 अपनी वेषभूषा भारतीय संस्कृति अनुसार रखें , ध्यान रखें भारतीय संस्कृति अनुसार वेषभूषा से हमारा अनिष्ट शक्तियों से रक्षण होता है और देवता के तत्त्व भी हमारी ओर आकृष्ट होते हैं
2 तिलक या टीका लगाएँ इससे भी अनिष्ट शक्तियाँ हमारे आज्ञा चक्र में प्रवेश नहीं कर पाती
3 पुरुष ने शिखा और यदि यज्ञोपावित हो चुका हो तो उसे धारण करें
4 स्त्रीयोन ने भूल से भी शराब और सिगरैट नहीं पीनी चाहिए इससे स्त्री की योनि अनिष्ट शक्तियों के लिए पोषक स्थान बन जाता है और उनके द्वारा उत्पन्न बच्चों को जन्म से ही अनिष्ट शक्तियों के कष्ट होते हैं
5 जहां तक संभव हो काले वस्त्र का प्रयोग पूर्ण रूप से टालना चाहिए, इससे भी अनिष्ट शक्तियों का कष्ट होता है
6 बाहर का भोजन विशेष कर डब्बाबंद(tinned) और कैंड खाद्य सामाग्री को ग्रहण करना टालना चाहिए यदि ग्रहण करना ही पड़े तो प्रार्थना और नामजप कर खाना चाहिए
7 रात्रि ग्यारह बजे के पश्चात जागना टालना चाहिए
8 किसी भी प्रकार के व्यसन को चखने से भी बचना चाहिए
9 मांसाहार के बजाय शाकाहार की ओर प्रवृत्त होना चाहिए
10 प्रतिदिन नमक पानी और गौमूत्र का एक चामच दल पहले स्नान करना चाहिए तत्पश्चात सामान्य स्नान करना चाहिए
11 आजकल के deo और तेज सुगंधी अनिष्ट शक्तियों को आकृष्ट करे की प्रचंड क्षमता रखते है उन्हे लगाना टालना चाहिए
12 सिंथेटिक और चमड़े के वस्त्र पहनना टालना चाहिए
13 टीवी और नेट पर बिना विशेष कारण अधिक समय नहीं देना चाहिए वे रज तम के स्पंदन प्रक्षेपित करते हैं
14 हॉरर फिल्म्स और धारावाहिक देखना टालना चाहिए
15 नमक पानी का उपाय नियमित करने से मन एवं बुद्ध पर छाया कला आवरण नष्ट हो जाता है और मन एकाग्र और शांत रहने में सहायता मिलती है | नमक पानी का उपाय कैसे कर सकते हैं यह भी समझ लेते हैं | आधी बाल्टी अपनी सुविधानुसार या मौसम अनुसार गरम या ठंडा पानी में एक चम्मच मोटा नमक (ढेला या खड़ा नमक ) डालें और उसमे एक चम्मच गौ मूत्र डालें और अपने दोनों पैर उसमे डालकर पंद्रह मिनट कुर्सी बैठें और साथ मैं गुरुमंत्र का या श्री गुरुदेव दत्त का जप करें और पंद्रह मिनट के पश्चात में पानी से पैर निकलकर पानी फ़ेंक दें और पैर स्वच्छ जल से धो लें | यदि सुबह या शाम में धुप हलकी हो आकाश नीला हो तो आकाश और सूर्य के नीचे नमक पानी का उपाय करने पर उसका प्रभाव और अधिक बढ़ जाता है | मात्र उपाय करें से पूर्व प्रार्थना करें “आकाश , सूर्य , नमक, जल और गौमूत्र के माध्यम से मेरे शरीर मन एवम बुद्धि में छाया काल आवरण नष्ट हो” |
16 सात्त्विक और पारंपरिक अलंकार धरण करने चाहिए
17 सोते समय पूर्ण अंधेरा कर नहीं सोना चाहिए
18 नामजप अधिक से अधिक करना चाहिए
19 पितर के चित्र घर में रखना टालना चाहिए
20 किसी संत की कृपा पाने का प्रयास करने हेतु उनके बताए अनुसार साधन करनाई चाहिए
21 गंगा सा या समुद्र स्नान का यदि सनशी मिले तो अवश्य ही करना चाहिए इससे ही अनिष्ट शक्तियों के कष्ट कम हो जाते हैं
22 घर का वातावरण को शुद्ध करना का नियमित प्रयास करना चाहिए अतः घर में वास्तु शुद्धि के सारे उपाय नियमित करें .
ये उपाय इस प्रकार हैं :
१. घर में तुलसी के पौधे लगायें
२. घर एवं आसपास के परिसर को स्वच्छ रखें
३. घर में नियमित गौ मूत्र का छिड़काव् करें
,४. घर में दो दिन नीमपत्ती की धुनी जलाएं
५. घर में कंडे या लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित कर धुना, लोबान एवं गूगुल जलाएं
७. संतों के भजन, स्त्रोत्र पठन या सात्त्विक नामजप की ध्वनि चक्रिका चलायें
८. घर में नामजप करें
९. घर कलह क्लेश टालें, वास्तु देवता "तथास्तु" कहते रहते हैं हैं अतः क्लेश से कलश और बढ़ता है और धन का नाश होता है
१० सत्संग प्रवचन का आयोजन करें | अतरिक्त स्थान घर में हो तो धर्मकार्य हेतु या साप्ताहिक सत्संग हेतु वह स्थान किसी संत या गुरु के कार्य हेतु अर्पण करें
११. संतों के चरण घर में पड़ने से घर की वास्तु १०% तक शुध्द हो जाती है अतः संतो के आगमन हेतु अपनी अपनी भक्ति बढ़ाएं
१२. प्रसन्न एवं संतुष्ट रहें मात्र घर के सदस्यों का प्रसन्नचित रहने से घर की ३०% शुद्धि हो जाती है |
23 यदि संभव हो तो घर में देसी गाय अपने प्रांगण में रखना चाहिए
24 अपने धन का त्याग धर्म कार्य हेतु नियमित करना चाहिए
25 ग्रन्थों का वचन करें और उसे जीवन में उतारने का प्रयास करें
17 सोते समय पूर्ण अंधेरा कर नहीं सोना चाहिए
18 नामजप अधिक से अधिक करना चाहिए
19 पितर के चित्र घर में रखना टालना चाहिए
20 किसी संत की कृपा पाने का प्रयास करने हेतु उनके बताए अनुसार साधन करनाई चाहिए
21 गंगा सा या समुद्र स्नान का यदि सनशी मिले तो अवश्य ही करना चाहिए इससे ही अनिष्ट शक्तियों के कष्ट कम हो जाते हैं
22 घर का वातावरण को शुद्ध करना का नियमित प्रयास करना चाहिए अतः घर में वास्तु शुद्धि के सारे उपाय नियमित करें .
ये उपाय इस प्रकार हैं :
१. घर में तुलसी के पौधे लगायें
२. घर एवं आसपास के परिसर को स्वच्छ रखें
३. घर में नियमित गौ मूत्र का छिड़काव् करें
,४. घर में दो दिन नीमपत्ती की धुनी जलाएं
५. घर में कंडे या लकड़ी से अग्नि प्रज्वलित कर धुना, लोबान एवं गूगुल जलाएं
७. संतों के भजन, स्त्रोत्र पठन या सात्त्विक नामजप की ध्वनि चक्रिका चलायें
८. घर में नामजप करें
९. घर कलह क्लेश टालें, वास्तु देवता "तथास्तु" कहते रहते हैं हैं अतः क्लेश से कलश और बढ़ता है और धन का नाश होता है
१० सत्संग प्रवचन का आयोजन करें | अतरिक्त स्थान घर में हो तो धर्मकार्य हेतु या साप्ताहिक सत्संग हेतु वह स्थान किसी संत या गुरु के कार्य हेतु अर्पण करें
११. संतों के चरण घर में पड़ने से घर की वास्तु १०% तक शुध्द हो जाती है अतः संतो के आगमन हेतु अपनी अपनी भक्ति बढ़ाएं
१२. प्रसन्न एवं संतुष्ट रहें मात्र घर के सदस्यों का प्रसन्नचित रहने से घर की ३०% शुद्धि हो जाती है |
23 यदि संभव हो तो घर में देसी गाय अपने प्रांगण में रखना चाहिए
24 अपने धन का त्याग धर्म कार्य हेतु नियमित करना चाहिए
25 ग्रन्थों का वचन करें और उसे जीवन में उतारने का प्रयास करें