Friday 2 September 2011

क्या पितर पुत्रियों को भी कष्ट देते हैं ?

परिवारमें जिस किसी सदस्यमें साधनाकी अत्यधिक क्षमता होती है, पितर उसे सर्वप्रथम कष्ट देकर उनसे अपने सदगतिकी अपेक्षा रखते हैं, पितरोंको पुत्रसे अधिक अपेक्षा होती है यह सत्य है विशेषकर प्रथम पुत्र और पुत्रोंमें जो सबसे तेजस्वी हो उनसे, परन्तु यदि पुत्री अत्यंत सात्त्विक है और घरमें पुत्र नहीं है तो पितर पुत्रीको कष्ट देते हैं | उनके लिए साधना करने वाले जीव एवं उसके साथ उनका लेन-देन महत्वपूर्ण घटक होता है | अतः पुत्रीने भी 'श्री गुरुदेव दत्त' का जप अवश्य ही करना चाहिए जिससे उसे पितरोंके कष्ट होनेसे पूर्व ही उसका रक्षण हो | जैसे जब मैंने अपने गाँवमें सत्संग आरम्भ की, तो हमारे कुलके अनके पितर सत्संगके साधक जिनमें कुछ मेरे कुलके सम्बन्धी भी है उनमे प्रकट होकर मुझसे गति माँगने लगे | धयानमें रखे सत्संग यदि भावपूर्ण पद्धतिसे की जाये तो उस सत्संग में निर्मित चैतन्यके माध्यमसे हमपर अध्यात्मिक उपाय (अर्थात spiritual healing ) होता है और कई बार अनिष्ट शक्तिसे पीड़ित साधकको सत्संगका चैतन्य सहन नहीं होता और वे प्रकट हो जाते हैं और उनमे विद्यमान अनिष्ट शक्ति प्रकट होते ही उधम मचाते हैं या गति माँगने लगते हैं | जब कुछ अनिष्ट शक्तियां साधकमें प्रकट होकर सदगति मांगने लगीं तो मैंने उनसे कहा "आप अपने पुत्रके पास जाएँ और उनसे गति मांगे तो वे (साधकोंमें प्रकट अतृप्त पूर्वज) कहने लगे "आजकल पुत्र हमें पानी तो देता ही नहीं है गति क्या खाक देंगे" ? पितृपक्ष में पितरोंको पुत्रने जल, तिल-तर्पण करना चाहिए ऐसा शास्त्रोंमें लिखा है मात्र आज पाश्चात्य संस्कृतिके अन्धानुकरणके कारण अनेक पुरुष धरमचरण और अपने पितरोंके प्रति कर्तव्यको विसरने लगा हैं और पितृ कर्मको कुछ पुरुष तो ढोंग तक मानने लगे है इतने हद तक उनकी अधोगति हो गयी है ऐसे में यदि पुत्री सात्त्विक और साधनारत हो तो पितर उनसे सद्गतिकी अपेक्षा रखते हैं ऐसा मेरा स्वयंका अनुभव है |
संकलक - तनुजा ठाकुर

5 comments:

  1. bahut hi sunder avam upyogi sankalan hai..krupaya aise hi prachar karte rahe.. dhanyawad.

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  2. Yahan "Kasht" word kyun use kiya gaya hai ? Kasht dekar sadgati ki Apeksha ?

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  3. @nitin ji kasht dekar we hamara dhyan akrusht karte hain aur phir ham unki sadgati hetu adhyaatmik upay karte hain

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  4. दीदी जी,, प्रणाम,,

    सारगर्भित जानकारी के लिए धन्यवाद,, मेरा सवाल ये है की पितरों की तृप्ति के लिए आज के भागमभाग भरी जिन्दगी में क्या आसान उपाय करनी चाहिए | क्या व्यक्ति के शारीरिक मानसिक भौतिक सामाजिक शुख की कमी का एक कारण पितृ शक्ति भी है | यदि हाँ,, तो ऐसे सामान्य व्यक्ति को क्या करना चाहिए जिससे पितरों के आत्मा की शांति हो सके एवं तमाम उपर्युक्त शुख की प्राप्ति हो | धन्यवाद..............

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  5. Didi, My parents are existing. In that case, can i perform 'tarpan' for my grandparents or great grandparents? What will be my duties to them?

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