Tuesday 6 September 2011

क्या हमारे पितर हमारी सहायता नहीं करते ?

कई लोग और कई सभ्यताओंकी मान्यता है कि हमारे पितर हमें सहायता करते हैं | हमारे गुरुदेव डॉ. जयंत आठवलेके मार्गदर्शनमें छटी इन्द्रियोंकी सहायतासे हुए शोधमें ऐसा पाया गया कि इस तथ्यमें सच्चाई है | परन्तु उनके द्वारा हमें सहायता करना दो मुद्दोंपर निर्भर करता पहला मृत्यु पूर्व उनकेद्वारा लिए गए कर्म और उनकी साधनाद्वारा प्राप्त किया गया आध्यात्मिक स्तर | कम आध्यात्मिक क्षमतावाले पितरोंके अपेक्षा जिन पितरोंकी अध्यात्मिक क्षमता अधिक होती है वे अपने कुलके लोगोंकी अधिक सहयता करनेकी क्षमता रखते हैं | पितरोंकी आध्यात्मिक क्षमता जितनी अधिक होती है उतने ही अधिक प्रमाणमें वे अपने वंशजोंकी सहयता कर सकते हैं |

अधिकतर पितर अपने कुलके लोगोंकी व्यावहारिक स्तरपर सहायता किया करते हैं |

उदहारणके तौरपर कोई पितर अपने परिवारके किसी सदस्यको जो नौकरीके लिए साक्षात्कारके लिए गया हो उसके लिए नौकरी दिलानेमें उसकी सहायता कर सकते हैं तो कैसे ? जो उनका वंशजका साक्षात्कारले रहा हो उनके मनमें उसे चयनित करनेका विचार डाल कर ! या घरके किसी सदस्यको कुछ अड़चन निर्माण कर उस स्थल पर जानेसे रोक सकते हैं जहाँ अपघात होने वाला हो | पितर अपने वंशजको व्यवहारिक सहायता कर अपने आपको आसक्तिके घेरे में डालते हैं | वास्तविक सहायता जो पितर अपने वंशजके लिए कर सकते हैं वह है उन्हें साधनाके प्रेरित करना | वर्तमान समयमें अधिकतर व्यक्तिका अध्यात्मिक स्तर २० से २५% है अतः ऐसेमें अपने वंशजको सहयता करनेकी क्षमता उनमे नगण्य होती है | साधनाकी क्षमताके अभावमें मृत्यु उपरांत वे स्वयं सूक्ष्म जगतकी बलाढ्य असुरी शक्तिके अधीनमें चले जाते हैं और कई बार अपना बचाव करना यह उनकी प्राथमिकता होती है |

कई बार यदि कोई पितर अपने वंशजकी सहयता करना चाहें तो भी नहीं कर पातें हैं और उनकी स्थिति पिंजरेमें बंद किसी बंधक सामान रहता है | वे अपने वंशजको सूक्ष्म जगतके बलाढ्य आसुरी शक्तिद्वारा प्रताड़ित होते देख कर भी कुछ नहीं कर पाते हैं इसके कुछ कारण है

१. या तो वंशज पूर्वज द्वारा भेजे गए सन्देशको समझ नहीं पाते या उनके वंशज मृत्यु उपरान्तकी यात्रामें विश्वास नहीं करते

२.अपने वंशजको कष्टसे बचने हेतु जो आवश्यक अध्यात्मिक शक्ति चाहिए वे उनके पास नहीं होता

जैसे एक पिता अपने पुत्रको स्वप्नके माध्यमसे उसके व्यसायकी गलत निर्णयके कारणमें होने वाली हानिके बारेमें स्वप्न द्वारा बताना चाहते हों मात्र पुत्र उस स्वप्नको समझ नहीं पाता या उस स्वप्नको उतना महत्व नहीं देता |
दूसरा एक उदहारण है एक माँ अपने पुत्रको मान्त्रिक ( सूक्ष्म जगतकी बलाढ्य असुरी शक्ति) द्वारा नियोजित घातक नशीली दवाओंके व्यसन में फंसते हुए देखकर भी कुछ नहीं कर पाती है
| उसे अपने पुत्रके व्यसनका मूल कारण पता होकर भी वे न ही पुत्र को बता पाती हैं और न ही इस जगतको !

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