Saturday 4 February 2012

साधना की दृष्टिकोण देती कुछ प्रेरक कथाएँ भाग – 14


‘’जैसे हो अधिकार वैसे करें उपदेश’’  इस कथन अनुसार संत मार्गदर्शन करते हैं | एक बार हमारे श्रीगुरु ने एक सत्संग में एक छोटी सी प्रेरक कथा सुनाई थी वह आपको बताती हूँ |
एक बार स्वामी रामकृष्ण परमहंस के पास एक भक्त आया | वह थोड़ा विचलित था , स्वामीजी ने पूछा, ‘’क्या हुआ ?’’ भक्त ने कहा, “चौराहे पर एक व्यक्ति आपको अपशब्द कह रहा है, स्वामीजी ने कहा ” वह तुम्हारे गुरु को अपशब्द कह रहा था और तुम सुन कर आ गए जाओ उसे रोको और वह शांत न हो तो एक थप्पड़ लगाना’’ | अभी वह निकल कर गया था कि एक दूसरा भक्त आया उसके सिर से  खून बह रहा था, स्वामीजी ने पूछा, “क्या हुआ, यह खून कैसा ?  दूसरे भक्त ने कहा “ चौराहे पर एक व्यक्ति आपको अपशब्द कह रहा था मुझे सहन नहीं हुआ और मैंने उसे मारा और इसी हाथापाई में मुझे चोट लग गयी” | स्वामीजी ने प्रेमसे झिड़कते हुए कहा “कितनी बार कहा है तुम्हें कि सभी में काली माँ है इस प्रकार किसी पर हाथ नहीं उठाते !!” शिष्य ने सिर झुका स्वामीजी से क्षमा मांगी | ऐसा स्वामीजी ने क्यों किया ?
पहले भक्त की  गुरूपर निष्ठा कम थी अतः स्वामीजी ने उसे जो भी उसके गुरु का विरोध करे उसका विरोध करने के प्रेरणा दी | दूसरे भक्त का प्रवास सगुण से निर्गुण की ओर हो रहा था अतः स्वामीजी  ने उसे सर्वत्र काली के स्वरूप को देखने सीख दी !!
क्या इतना सूक्ष्म अभ्यास करनेवाला अध्यात्म शास्त्र अन्य धर्मो में है !!!

1 comment:

  1. It is said that if anyone abuses one guru then if possible cut his head or if not possible leave the place immediately.

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