Monday 6 February 2012

साधना की दृष्टिकोण देती प्रेरक कथाएँ भाग -15

एक गाँव में एक वृद्ध स्त्री रहती थीं | उनका कोई नहीं था और वे गोबर की उपले बनाकर बेचती थी और उसी से अपना गुजारा चलाती थीं | पर उस स्त्री की एक विशेषता थी वे कृष्ण भक्त थीं , उठते बैठते नामजप किया करती थीं यहाँ तक उपले बनाते समय भी | उस गाँव के कुछ दुष्ट लोग उसकी भक्ति का उपहास  करते और एक दिन तो उन दुष्टों ने  एक  रात उस वृद्ध  स्त्री के सारे उपले चुरा लिए और आपस में  कहने लगे कि अब देखें कृष्ण कैसे इनकी सहयता करते थे | सुबह जब वह उठीं तो देखती हैं  कि सारी उपले किसी ने चुरा ली | वे मन ही मन हंसने लगी और अपने कान्हा को कहने लगीं , “ पहले माखन चुराता था और मटकी फोड़ गोपियों को सताता था और इस बुढ़िया की उपले छुपा मुझे सताता है, ठीक है जैसी तेरी इच्छा” यह कह उसने अगले दिन के लिए उपले बनाना आरंभ कर दिये | दोपहर हो चला तो भूख लग गयी पर घर में कुछ खाने को नहीं था, दो गुड की डली थीं अतः एक अपने मुह में डाल पानी के कुछ घूंट ले लेटने चली गयी | भगवान तो भक्त वत्सल होते हैं अतः अपने भक्त को कष्ट होता देख वे विचलित हो जाते हैं , उनसे उस वृद्ध साधिका के कष्ट सहन  नहीं हो पाये | सोचा उसकी सहायता करने से पहले उसकी परीक्षा ले लेता हूँ अतः वे एक साधू का वेश धरण कर उसके घर पहुँच कुछ खाने को मांगने लगे , वृद्ध स्त्री को अपने घर आए एक साधू को देख आनंद तो हुआ पर घर में कुछ खाने को न था यह सोच दुख भी हुआ उसने गुड की इकलौती डली बाबा को शीतल जल के साथ खाने को दे दी | बाबा उस स्त्री के त्याग के देख प्रसन्न हो गए और जब वृद्ध स्त्री ने अपने सारे वृतांत सुनाये तो बाबा उन्हें सहायता का आशवासन दे चले गए  और गाँव के सरपंच के यहाँ पहुंचे | सरपंच से कहा ,” सुना है इस गाँव के बाहर जो वृद्ध स्त्री रहती है उसके उपले किसी ने चुरा लिए, मेरे पास एक सिद्धि है  यदि गाँव के सभ लोग अपने उपले ले आयें तो मैं अपनी सिद्धि के बल पर उस वृद्ध स्त्री के सारे उपले अलग कर दूंगा “ | सरपंच एक भला व्यक्ति था उसे भी वृद्ध स्त्री के उपले चोरी होने का दुख था अतः उन्होने साधू बाबा रूपी  कृष्ण की बात तुरंत मान ली और गाँव में ढिंढोरा पिटवा दिया कि सब अपने घर कि उपले तुरंत गाँव की  चौपाल पर लाकर रखें | “ जिन दुष्ट लोगों ने चोरी की  थी, वे भी वृद्ध स्त्री के उपले अपने उपलों में मिलाकर उस ढेर में एकत्रित कर दिये | उन्हें लगा कि सब कि उपले तो एक जैसी होती हैं अतः साधू  बाबा कैसे पहचान पाएंगे | दुर्जनों को ईश्वर की  लीला और शक्ति दोनों पर ही विश्वास नहीं होता | साधू वेशधारी कृष्ण ने सब उपलों को कान लगाकर वृद्ध स्त्री कि उपले अलग कर दी | वृद्ध स्त्री आपे उपलों को तुरंत पहचान गयी और उनकी प्रसन्नता का तो ठिकाना ही नहीं था , वे अपने उठा , साधू बाबा को नमस्कार कर चली गयी | जिन दुष्टों ने वृद्ध स्त्री की उपले चुराई थीं उन्हें यह समझ में नहीं आया कि बाबा ने कान लगाकर उन उपलों को कैसे पहचाना, अतः जब बाबा गाँव से कुछ दूर निकल आए तो वे दुष्ट बाबा से इसका कारण जानना  चाहे ,” बाबा ने सरलता से कहा कि वृद्ध स्त्री सतत ईश्वर का नाम जप करती थी और उसके नाम में इतनी आर्तता थी कि वह उपलों में भी चला गया , कान लगाकर वे यह सुन रहे थे कि किन उपलों से कृष्ण का नाम निकलता है और जिनसे कृष्ण का नाम निकल रहा था उन्होने उन्हे अलग  कर दी |
यह है नामजप का परिणाम अतः हमने व्यवहार के प्रत्येक कृति करते समय नामजप करना चाहिए इससे हम पर ईश्वर कि कृपा का सातत्य से वर्षाव होता है  !

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