Friday 26 August 2011

बच्चे मनके सच्चे ! भाग -१

बच्चे मनके सच्चे ! भाग -१

 इस लेखकी श्रिंखलाके अंतर्गत हम अपने कुछ ऐसे अनुभव बांटना चाहेंगे जो बच्चों के साथ हुए ! बच्चोंमें सीखनेकी लगन कितनी अधिक होती है यह समझ आता है और हम ही उन्हें सिखानेमें कम पड़ते हैं ! मैं झारखण्डमें अपने चचेरे भाईके घर गयी थी उनकी आठ वर्षीय बेटीको अत्यधिक अध्यात्मिक कष्ट है और इस कारण भाभी भी परेशान रहती हैं | एक दिन मैंने बात ही बातमें बताया कि चूँकि बच्चेको अनिष्ट शक्तियोंका कष्ट है अतः उसे काले रंगका वस्त्र पहननेके लिए न दें | तीन महीने पश्चात उसी बच्चीका जन्मदिन था और उनके पिताके उसके लिए काले रंगका नया वस्त्र खरीद कर लाये थे | उस वस्त्रको देखते ही वह बच्ची अपने पितासे बोली " आपको बुआने बताया था कि मुझे काले रंगके वस्त्र नहीं पहननेके लिए नहीं देना है फिर भी आप यह भूल गए अब आप यह वस्त्र पुनः परिवर्तित कर लायें मैं यह वस्त्र नहीं पहनूंगी यह वस्त्र मेरे लिए सही नहीं है" ! मेरा भाई यह सुनकर आश्चर्य चकित हो गया और मुझे दूरभाष कर अपनी गलती बताई ! और अपनी बेटीके लिए सात्त्विक रंगके वस्त्र लाकर दिए | यदि बच्चेको अनिष्ट शक्तिका कष्ट होता है तो उन्हें नींद न आना, भोजन न करना , पढाईमें मन न लगाना , गालियाँ देना या सदा मारपीट करना, अत्यधिक शरारत करना, रात में सोते समय डर कर उठ जाना, सदा चिड- चिड करना जैसे कष्ट होते हैं ! ऐसे होने पर बच्चेके सिर पर हाथ रखकर "श्री गुरुदेव दत्त ॐ नमः शिवः" का जप एक के बाद एक इस प्रकार, दो वर्ष तक कष्टकी तीव्र अनुसार एक से दो घंटे करें और यदि बच्चा नामजप बोल सकता है तो उसे नामजप कराएँ और लिख सकता है तो नामजप लिखायें ! साथ ही प्रत्येक मंगलवार और शनिवार को बच्चे की दृष्टि उतारें और उसे नमक पानी और गौमूत्रसे पहले स्नान कराएँ और तत्पश्चात साधारण स्नान कराएँ ! पिछले एक वर्ष से भारत भ्रमण कर रही हूँ और ऐसा देखनेमें आया है कि माता पिता बच्चेसे सम्बंधित भिन्न भिन्न कष्टसे अत्यधिक परेशान हैं और उसे दूर करने के लिए वे अनके प्रकारके मानसिक और बौद्धिक स्तरके प्रयास भी कर चुके हैं आजकल हमारी जीवन शैली आधुनिकीकरण की दौड़में तमोगुणी होती जा रही है फलस्वरूप बच्चोंको गर्भसे हीअनिष्ट शक्तियों का कष्ट रहता है और ऐसे बच्चे ज्यों ज्यों बड़े होते हैं उनके कष्ट का प्रकातिकराना अनेक समस्याओं के माध्यम से होने लगता हैं अतः बच्चोको शारीरिक और मानसिक और बौद्धिक पोषणके साथ ही आध्यात्मिक पोषण भी अवश्य दें यह काल की मांग है !
संकलन कर्त्री - तनुजा ठाकुर
To be continued …………..
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