Tuesday 24 January 2012

हमारे घरके कष्ट पितृ दोषके कारण हैं, इसे हम कैसे समझेंगे ?



हमारे जीवनकी ८०% समस्याएं आध्यात्मिक होती हैं | हमारे जीवनमें ६५%का मूल कारण हमारा प्रारब्ध होता है | यदि घरमें पितर अशांत हों, तब भी हमारे जीवनमें अनेक समस्याएँ हो सकती हैं |
यदि समस्याएँ शारीरिक या मानसिक हों, तो शारीरिक, मानसिक एवं बौद्धिक स्तरपर प्रयास करनेसे हमारी समस्याओंका हल निकल आता है, परन्तु यदि हमारे जीवनकी समस्याएं आध्यात्मिक हों, तो उस समस्याका मूल आध्यात्मिक कारण कोई संत ही बता सकते हैं |
फिर भी समस्याओंका मूल कारण आध्यात्मिक है, उसे बुद्धिसे समझनेके दो मापदंड हैं |
१. बहुत प्रयास करने पर भी, यदि हमें यश न मिले, जैसे परीक्षामें बहुत प्रयास करने पर भी यश न मिलना ---
२. दूसरा मापदंड है - यदि घरके अधिकतर सदस्यको कोई न कोई कष्ट हो, अर्थात घरमें सभी परेशान हों | जैसे एक घरमें बड़ा बेटा मनोरोगी था | दूसरेका विवाहके तीन महीने पश्चात सम्बन्ध-विच्छेद हो गया, और तीसरेने पढ़ाई  अधूरी छोड़ दी | दिखनेमें सुन्दर, सुशील, अच्छा वेतन पाने वाली बेटीका विवाह तय नहीं हो पा रह था | घरके मुखिया, अर्थात पिताको मधुमेह एवं अवसाद था | इन सब समस्याओंके कारण घरके सभी सदस्य दुखी थे | इस घरमें अधिकतर कष्ट पितृ-दोषके कारण था |
पितर यदि अशांत हों, तो आरम्भमें छोटी छोटी समस्याएं निर्माण कर, हमारा ध्यान आकृष्ट करनेका प्रयत्न करते हैं, जैसे बच्चेका पढ़ाईमें मन  लगना, घरके सदस्योंका छोटे-मोटे अपघात होना इत्यादि | और जब हम सतर्क हो, उनके सदगति हेतु कोई प्रयास नहीं करते, तब वे हमारे जीवनमें बड़ी-बड़ी समस्याएं निर्माण करने लगते हैं, जैसे व्यवसायमें बार-बार आर्थिक हानि होना, बच्चे न होना, या गर्भपात हो जाना इत्यादि | धीरे-धीरे पितर घरके लगभग सभी सदस्योंको कष्ट देने लगते हैं |

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